एक SHAYAR का अफसाना…
SHAYARI से महबूब को मिलने का बहाना…
***रखे थे एक दिन लब अपने लबों पर मेरे
तबसे अपने प्यार से लिख कर मिलता हूँ…***
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कुछ अनकहे जज़्बात ।।।धुंधले अल्फाज़ो से भरकर मेरी कलम ने ये वक़्त गुज़ारा हैं…छलक उठेंगे आज जज़्बात इश्क़ के पन्नो पर लगता हैं जैसे धड़कनों ने तेरी मेरा नाम पुकारा हैं…# SK #